एक ऐसी संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है, जो मुअन-जो-दड़ो से शुरू होती है या उससे भी पहले की हो सकती है। सिंधी भाषा प्राचीन और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध है। सिंधी साहित्य जगत के साहित्यकारों ने सिंधी साहित्य को बहुत समृद्ध बनाया है। कोण है सिंधीयो के देवता? सिंधी साहित्य में सबसे पहला संदर्भ किस इतिहासकारों के लेखन में मिलता है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए सिंधी संस्कृति with तमन्ना और मीणा सिर्फ ऑडियो पिटारा पर.
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Introduction
एक ऐसी संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है, जो मुअन-जो-दड़ो से शुरू होती है या उससे भी पहले की हो सकती है। सिंधी भाषा प्राचीन और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध है। सिंधी साहित्य जगत के साहित्यकारों ने सिंधी साहित्य को बहुत समृद्ध बनाया है। कोण है सिंधीयो के देवता? सिंधी साहित्य में सबसे पहला संदर्भ किस इतिहासकारों के लेखन में मिलता है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए सिंधी संस्कृति with तमन्ना और मीणा सिर्फ ऑडियो पिटारा पर.
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All Episodes
सिंधी संस्कृति के इस एपिसोड में हम चर्चा करेंगे हमारे लक्ष्य के बारे में कि छोटे बच्चों को किस तरह से अपनी संस्कृति सिंधी भाषा से परिचय कराया जाए. पहले के समय में नानी और दादी सिंधी में कहानियां सुनाया करती थी, स्कूली शिक्षा में भी सिंधी पढ़ाई जाती थी. परंतु इस वक्त सिंधी धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है, इसे विलुप्त होने से बचाने के लिए एक कोशिश है हमारी की डिजिटल माध्यम से बच्चों से बातचीत तथा सिंधी बोली का ज्ञान दे सकें तो सुनिए अभी सिंधी संस्कृति वित तमन्ना और मीणा सिर्फ ऑडियो पिटारा पर.
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इस एपिसोड में हम बात करेंगे लक्षिता शर्मा उम्र 14 साल दिल्ली से, लक्षिता अपने स्कूल में सारे विषय में पढ़ाई करती है और उसका पसंदीदा विषय संस्कृत है, उसे अपनी मां को सिंधी भाषा में कार्य करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है, साथ ही वह सिंधी के कुछ शब्द सीख चुकी है तथा और भी सीखने को इच्छुक है, लक्षिता को सिंधी खाना बहुत पसंद है. क्या लक्षिता अपने सिंधी भाषा को प्रसिद्ध कर पाएगी? किस प्रकार से उसकी रुच्ची सिंधी भाषा मे बी बड़ेगी? इन सारे सवालों की जवाब जानने के लिए सुनिए सिंधी संस्कृति वित तमन्ना और मीना सिर्फ ऑडियो पिटारा पर.
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इस एपिसोड में हम बात करेंगे दिव्यांशी बिल्वाणी से, उम्र 8 साल ब्राइट केंपस स्कूल अहमदाबाद। दिव्यांशी के परिवार वाले सिंधी में बात करते है। सिंधी त्योहार मनाते हैं। सिंधी सांग्स पर डांस करना साथ ही साथ सिंधी बोलने के लिए अक्षर अक्षर सोचते हुए वाक्य जोड़ना एक अलग ही अंदाज़ है दिव्यांशी का । क्या आप भी सिंधी फेस्टिवल मानते है? Comment कर के बताए।क्या आप को भी दिव्यांशी की तरह सिंधी स्टोरी या कविता या कुछ अलग हमारे साथ शेयर करना है। तो आप भी जुड़ सकते है। हमारे सिंधी संस्कृति ऑडियो पिटारा से।
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इस एपिसोड में हम बात करेंगे काव्या लालवाणी , उम्र 8 साल, साधू वासवानी इंटरनेशनल स्कूल फॉर गर्ल्स, दिल्ली से। काव्या का अपनी मातृ भाषा सिंधी में अत्यधिक चाव है, काव्या को सिंधी कविताएं, सिंधी भजन आदि आता है, जो हम आपको भी सुनाएंगे, इसे सुन कर, सुनने वाले बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी। सिंधी बोली का उपयोग किस क्षेत्र में किया जाता है और इसकी महत्ता क्या है? क्या आपके पास कोई सिंधी कविता या कहानी है? अगर हाँ, तो कृपया हमारे साथ साझा करें कमेंट्स करके सिर्फ सिंधी संस्कृति वित तमन्ना और मीना में सिर्फ ऑडियो पिटारा पर.
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इस एपिसोड में हम बात करेंगे दिव्यांशी बिल्वाणी से, उम्र 8 साल ब्राइट केंपस स्कूल अहमदाबाद। दिव्यांशी ने “जेठ जी उमास ” पूजा विधि के बारे में बताया है । इतनी छोटी सी उम्र में दिव्यांशी को सिंधी त्योहारों के बारे में ज्ञान है। यदि आपको भी सिंधी डिण वार के बारे में पता है या आप भी कविता, कहानी, किस्सा या कुछ और यदि शेयर करना चाहते हैं तो आप भी हमारे साथ जुड़ सकते है। हमारे पॉडकास्ट सिंधी संस्कृति ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में हम मिलेंगे 14 साल की महक सेठिया, अहमदाबाद से। महक ने सिंधी में बहुत ही खूबसूरत गीत सुनाया। महक अपने परिवार के साथ संत टेऊँराम फिल्म देखने गई। जिसमें उसने संत टेऊँराम जी की खूबियों और उनके कार्यों के बारे में जाना। साथ ही बहुत अच्छी सीख भी ली। महक से बात करने के बाद हमें यह लगा कि सिंधी फिल्मों के ज़रिए भी सिंधी माहौल दिया जा सकता है। आपको महक का गीत कैसा लगा? क्या आप भी सिंधी में कोई गीत, भजन, कहानी हमारे साथ साझा करना चाहते है? तो आप भी जुड़ सकते है। हमारे सिंधी संस्कृति ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में मिलेंगे दृष्टि राजाणी, अहमदाबाद से। दृष्टि नवीं कक्षा में एम जी हाई स्कूल में पढ़ती है। स्कूल अंग्रेजी मीडियम है, परंतु वहां चौथे से सातवें दर्जे तक सिंधी पढ़ाई जाती है। दृष्टि बड़े होकर इंजीनियर बनना चाहती है। साथ ही घर से उसे ऐसा माहौल मिला है कि वह सिंधी कम्युनिटी के लिए सेवा करना चाहती है। दृष्टि इतनी सी उम्र में संत निरंकारी सत्संग जाती है और वहां बहुत अच्छे संस्कार सीखती है। दृष्टि ने बहुत ही मधुर सिंधी गीत सुनाया। आपको दृष्टि के विचार कैसे लगे? क्या आप भी हमसे अपने विचार साझा करना चाहते है। तो आप भी जुड़ सकते है। हमारे सिंधी संस्कृति ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में मिलेंगे भूसावल से सलोनी मंगलाणी 13 साल, 8वीं कक्षा, अंगद मंगलाणी 12 साल, 6ठी कक्षा और कृपा मंगलाणी 15 साल 11वीं कक्षा के बच्चों से।
इस प्रोग्राम में इन बच्चो ने बहुत ही अच्छे से अपनी अपनी भूमिका निभाई। शुरुआत में नन्हीं सी सलोनी ने बहुत ही खूबसूरत सिंधी लोक गीत ‘पैसो लधो पट तां” सुनाया। उसके बाद 12 साल के अंगद ने अपनी मधुर आवाज और अनोखे अंदाज में “सिंधी पलव” गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया और कृपा ने सिंधी पलव को “सिंधी छंडो” से पूरा किया, जिसे सुनकर हमें खूब मज़ा आया। उम्मीद है आपको भी सुनकर आनंद आएगा।
अपने विचार और सुझाव हमें लिखकर बताए। सुनते रहे इसी तरह मनोरंजक और ज्ञानवर्धक शो में हमारे साथ “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में हम बात करेंगे हमारे नन्हें सिंधी सितारों के बारे में, जो सिंधी संस्कृती पॉडकास्ट में हमारे साथ जुड़े और बहुत अच्छी भागीदारी दी। लक्षिता शर्मा अपनी माँ को सिंधी में काम करता देख प्रेरित हुई और उसनें सिंधी सीखने की शुरुआत की, काव्या का तो अंदाज निराला है, घर में मिले माहोल से उसने बहुत अच्छी सिंधी सिखी और सिंधी में कविता तथा गीत सुनाए, दिव्यांशी छोटे छोटे शब्दों को जोड़कर वाक्य बनाती है और सिंधी भाषा में बात करती है, सुनकर आनंद आता है। साथ ही महक सेठिया को भी घर में सिंधी माहोल मिला और वह घरवालों के साथ सिंधी फिल्म भी देखने जाती है। कृपा, अंगद, सलोनी ने कितने अच्छे से सिंधी गीत सुनाए। यह सब सिंधी माहोल का ही असर है। आज की पीढ़ी को सिंधी सिखाने के नए तरीके है जैसे डिजिटल माध्यम से जिस तरह से यह पॉडकास्ट भी एक जरिया है, उसी तरह के और भी कई प्लेटफॉर्म हैं, उनके जरिए उन्हें अपनी भाषा के करीब लेकर जाया जा सकता है। जैसे सिंधी कार्यक्रम, सिंधी रीति रिवाज और परम्पराएं, सिंधी संगीत सिंधी नाटक, सिंधी फिल्म आदि के जरिए उन्हें माहोल दिया जाए ताकि वह अपनी संस्कृती से हमेशा जुड़े रहे। हमारा अब तक का सफर बहुत बेहतरीन रहा और आगे भी आप सभी के साथ से और भी मजेदार होगा। अपने विचार और सुझाव हमें लिखकर बताए। सुनते रहे इसी तरह मनोरंजक और ज्ञानवर्धक शो में हमारे साथ “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में हमनें मुलाकात की सिंधी के मशहूर बाल साहित्यकार और नाटककार डॉ. हूंदराज बलवाणी जी से। हमनें चर्चा की, कि बच्चों को किस तरह से गतिविधियों में शामिल तथा प्रोत्साहित किया जाए ताकि वह अपनी भाषा को जाने और उससे प्यार करें। साथ ही सिंधी भाषा को सीखकर गर्व के साथ उसे बोलचाल में लाएं। उन्होंने बहुत अच्छे और मूल्यवान सुझाव दिए जैसे हमें बच्चों को सीखाने के लिए उनकी माताओं के लिए वर्कशॉप्स अथवा कार्यक्रम करवाने की आव्यशकता है, जिसमें कहानी को पेश करने का तरीका सिखाया जाए ताकि बच्चे सिंधी कहानियाँ और किस्से सृजनात्मक ढंग से सुने और उससे सिंधी के नए शब्दों को एक नए क्रिएटिव अंदाज में सीखें। साथ ही घर में सिंधी में बात की जाए, उन्हें वह माहोल दिया जाए। बेशक स्कूल में बच्चे इंग्लिश मीडीअम में पढ़ाई करें पर घर में यदि उन्हे माहोल मिलेगा तो निश्चित रूप से वह अपनी मातृ भाषा से जुड़े रहेंगे।
अपने विचार और सुझाव हमें लिखकर बताए। सुनते रहे इसी तरह मनोरंजक और ज्ञानवर्धक शो में हमारे साथ “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
पिछले एपिसोड में, आपने बाल साहित्यकार डॉ. हूंदराज बलवाणी जी को सुना। उम्मीद है आपने उनकी सकारात्मक बातों से काफी कुछ सीखा होगा। उन्होंने आज की पीढ़ी को सिंधी भाषा से जोड़े रखने के सुझाव दिए । डॉ. बलवाणी हिन्द -सिंध के लोकप्रिय बाल साहित्यकार है, उन्होंने बच्चों के लिए बहुत कुछ लिखा है। उसी बाल साहित्य के खज़ाने में से, उन्होंने कुछ खज़ाना अपनी आवाज़ में हमारे साथ साझा किया है, जो कि आपके साथ शेयर करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। कहानी का शीर्षक है – “फुंडियल पूरी” । जैसा कि शीर्षक ही इतना मनोरंजक है तो कहानी कितनी मज़ेदार होगी। तो आइए सुनते है – “फुंडियल पूरी” ।
यदि आप भी कोई मज़ेदार कहानी हमारे साथ साझा करना चाहते है तो जरूर कीजिए और सुनते रहिए “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
पिछले एपिसोड में आपने डॉ. हूंदराज बलवाणी जी की मज़ेदार कहानी “फुंडियल पूरी” सुनी। कहानी सुनकर मज़ा आया होगा। कहानी में पूरी और गोलगप्पे का नाम सुनकर मुँह में पानी भी आया होगा। उम्मीद है आपने अपने बच्चों को भी कहानी सुनाई होगी। तो बच्चों ने आपसे कुछ सवाल भी किए होंगे। यही हमारा मकसद है कि बच्चे कहानी सुने और सवाल करें ताकि वह सिंधी भाषा के नए शब्द सीख सकें। अब आप इसी कहानी को अपने रोचक अंदाज में अपने बच्चों को सुनाए।
आज भी हम आपके लिए एक और मज़ेदार कहानी लेकर आए है “पोपटमल पोपट पकड़ियो”।शीर्षक सुनकर आपको सुनने की जिज्ञासा हो ही होगी तो आइए सुनते है -“पोपटमल पोपट पकड़ियो”।
यदि आप भी कोई मज़ेदार कहानी हमारे साथ साझा करना चाहते है तो जरूर कीजिए और सुनते रहिए “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में हमने मुलाकात की हिंद- सिंध के बर्ख सिंधी- हिंदी-गुजराती -उर्दू के साहित्यकार डॉ. जेठो लालवाणी जी से।
सिंधी भाषा पर चर्चा की शुरुआत में उन्होंने बताया कि आज शहरों में जो भाषा बोली जाती है, उस पर दूसरी बोलियों का असर है। शहरों में सिंधी भाषा की मधुरता कहीं धुंधली हो गई है। आज भी गुजरात के कच्छ में ऐसी जगह है, जहां सिंधी भाषा की मिठास बरकरार है।
साथ ही चर्चा की गई कि सिंधी भाषा को रोजगार से कैसे जोड़ा जा सकता है। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि जब सिंधी लोग, सिंध से हिंदुस्तान आए तब सिंधी विद्यालयों में सिंधी पढ़ाई जाती थी, जिसके लिए सिंधी विद्वानों द्वारा किताबें बनाई जाती थी और सिंधी प्रेस में किताबें छपती थी, इसी तरह सिंधी भाषा रोजगार से जुड़ी हुई थी। उसके बाद 10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को जब संविधान में शामिल किया गया, तो सिंधी में और भी रोजगार जुड़े जैसे कि रेडियो, न्यूज़, दूरदर्शन आदि। आज भी सिंधी भाषा में स्कूल लेवल से लेकर कॉलेज तक सिंधी विषय में पढ़ाई के विकल्प हैं परंतु आज की नौजवान पीढ़ी अपनी भाषा को पढ़ना नहीं चाहती, इसलिए धीरे धीरे हर जगह से सिंधी स्कूल आदि को बंद किया जा रहा है।
बच्चों को घर में माहौल भी नहीं दिया जाता। भाषा एक संचार का माध्यम है, यदि सिंधी भाषा में संचार नहीं किया जाएगा तो भाषा विलुप्त होने की ऐसी परिस्थिति भी आ सकती है।
अपने विचार और सुझाव हमें लिखकर बताए। सुनते रहे इसी तरह मनोरंजक और ज्ञानवर्धक शो में हमारे साथ “सिंधी संस्कृती” ऑडियो पिटारा से।
इस एपिसोड में आप सुनेंगे’ डॉली ठक्कर ‘और ‘भूमि विधानी ‘की गुफ्तगू।_नवमी कक्षा में पढ़ने वाली इन बालिकाओं ने “डॉक्टर चोइथराम गिदवाणी – स्वतंत्रता सेनानी के जीवन पर सिंधी भाषा में एक दूसरे से चर्चा की। हमें इस चर्चा को आपके साथ साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है । हमें गर्व है हमारे बच्चे अपने सिंधी समाज के स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे हैं।











Happy Birthday Lakshita
good job. good to see that kids are participating.